Romans 14:19 in Hindi

Hindi Hindi Bible Romans Romans 14 Romans 14:19

Romans 14:19
इसलिये हम उन बातों का प्रयत्न करें जिनसे मेल मिलाप और एक दूसरे का सुधार हो।

Romans 14:18Romans 14Romans 14:20

Romans 14:19 in Other Translations

King James Version (KJV)
Let us therefore follow after the things which make for peace, and things wherewith one may edify another.

American Standard Version (ASV)
So then let us follow after things which make for peace, and things whereby we may edify one another.

Bible in Basic English (BBE)
So then, let us go after the things which make peace, and the things by which we may be a help to one another.

Darby English Bible (DBY)
So then let us pursue the things which tend to peace, and things whereby one shall build up another.

World English Bible (WEB)
So then, let us follow after things which make for peace, and things by which we may build one another up.

Young's Literal Translation (YLT)
So, then, the things of peace may we pursue, and the things of building up one another;

Let
us

follow
ἄραaraAH-ra
therefore
οὖνounoon
after
τὰtata
the
things
τῆςtēstase
peace,
for
make
which
εἰρήνηςeirēnēsee-RAY-nase
and
διώκωμενdiōkōmenthee-OH-koh-mane
things
καὶkaikay

may
one
wherewith
τὰtata
edify
τῆςtēstase

οἰκοδομῆςoikodomēsoo-koh-thoh-MASE

τῆςtēstase
another.
εἰςeisees
ἀλλήλουςallēlousal-LAY-loos

Cross Reference

Romans 15:2
हम में से हर एक अपने पड़ोसी को उस की भलाई के लिये सुधारने के निमित प्रसन्न करे।

Psalm 34:14
बुराई को छोड़ और भलाई कर; मेल को ढूंढ और उसी का पीछा कर॥

Hebrews 12:14
सब से मेल मिलाप रखने, और उस पवित्रता के खोजी हो जिस के बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा।

Ephesians 4:29
कोई गन्दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो।

Romans 12:18
जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।

1 Corinthians 14:26
इसलिये हे भाइयो क्या करना चाहिए? जब तुम इकट्ठे होते हो, तो हर एक के हृदय में भजन, या उपदेश, या अन्यभाषा, या प्रकाश, या अन्यभाषा का अर्थ बताना रहता है: सब कुछ आत्मिक उन्नति के लिये होना चाहिए।

Philippians 2:1
सो यदि मसीह में कुछ शान्ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है।

1 Peter 3:11
वह बुराई का साथ छोड़े, और भलाई ही करे; वह मेल मिलाप को ढूंढ़े, और उस के यत्न में रहे।

James 3:13
तुम में ज्ञानवान और समझदार कौन है? जो ऐसा हो वह अपने कामों को अच्छे चालचलन से उस नम्रता सहित प्रगट करे जो ज्ञान से उत्पन्न होती है।

2 Timothy 2:22
जवानी की अभिलाषाओं से भाग; और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उन के साथ धर्म, और विश्वास, और प्रेम, और मेल-मिलाप का पीछा कर।

1 Timothy 1:4
और उन ऐसी कहानियों और अनन्त वंशावलियों पर मन न लगाएं, जिन से विवाद होते हैं; और परमेश्वर के उस प्रबन्ध के अनुसार नहीं, जो विश्वास से सम्बन्ध रखता है; वैसे ही फिर भी कहता हूं।

1 Thessalonians 5:11
इस कारण एक दूसरे को शान्ति दो, और एक दूसरे की उन्नति के कारण बनो, निदान, तुम ऐसा करते भी हो॥

Psalm 133:1
देखो, यह क्या ही भली और मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें!

Matthew 5:9
धन्य हैं वे, जो मेल करवाने वाले हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के पुत्र कहलाएंगे।

Mark 9:50
नमक अच्छा है,पर यदि नमक की नमकीनी जाती रहे, तो उसे किस से स्वादित करोगे? अपने में नमक रखो, और आपस में मेल मिलाप से रहो॥

1 Corinthians 7:15
परन्तु जो पुरूष विश्वास नहीं रखता, यदि वह अलग हो, तो अलग होने दो, ऐसी दशा में कोई भाई या बहिन बन्धन में नहीं; परन्तु परमेश्वर ने तो हमें मेल मिलाप के लिये बुलाया है।

1 Corinthians 10:33
जैसा मैं भी सब बातों में सब को प्रसन्न रखता हूं, और अपना नहीं, परन्तु बहुतों का लाभ ढूंढ़ता हूं, कि वे उद्धार पाएं।

1 Corinthians 14:12
इसलिये तुम भी जब आत्मिक वरदानों की धुन में हो, तो ऐसा प्रयत्न करो, कि तुम्हारे वरदानों की उन्नति से कलीसिया की उन्नति हो।

2 Corinthians 13:11
निदान, हे भाइयो, आनन्दित रहो; सिद्ध बनते जाओ; ढाढ़स रखो; एक ही मन रखो; मेल से रहो, और प्रेम और शान्ति का दाता परमेश्वर तुम्हारे साथ होगा।

Ephesians 4:3
और मेल के बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्न करो।

Colossians 3:12
इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।

2 Corinthians 12:19
तुम अभी तक समझ रहे होगे कि हम तुम्हारे सामने प्रत्युत्तर दे रहे हैं, हम तो परमेश्वर को उपस्थित जान कर मसीह में बोलते हैं, और हे प्रियों, सब बातें तुम्हारी उन्नति ही के लिये कहते हैं।