Psalm 61
1 हे परमेश्वर, मेरा चिल्लाना सुन, मेरी प्रार्थना की ओर घ्यान दे।
2 मूर्छा खाते समय मैं पृथ्वी की छोर से भी तुझे पुकारूंगा, जो चट्टान मेरे लिये ऊंची है, उस पर मुझ को ले चला;
3 क्योंकि तू मेरा शरणस्थान है, और शत्रु से बचने के लिये ऊंचा गढ़ है॥
4 मै तेरे तम्बू में युगानुयुग बना रहूंगा। मैं तेरे पंखों की ओट में शरण लिये रहुंगा
5 क्योंकि हे परमेश्वर, तू ने मेरी मन्नतें सुनीं, जो तेरे नाम के डरवैये हैं, उनका सा भाग तू ने मुझे दिया है॥
6 तू राजा की आयु को बहुत बढ़ाएगा; उसके वर्ष पीढ़ी पीढ़ी के बराबर होंगे।
7 वह परमेश्वर के सम्मुख सदा बना रहेगा; तू अपनी करूणा और सच्चाई को उसकी रक्षा के लिये ठहरा रख।
8 और मैं सर्वदा तेरे नाम का भजन गा गाकर अपनी मन्नतें हर दिन पूरी किया करूंगा॥
1 To the chief Musician upon Neginah, A Psalm of David.
2 Hear my cry, O God; attend unto my prayer.
3 From the end of the earth will I cry unto thee, when my heart is overwhelmed: lead me to the rock that is higher than I.
4 For thou hast been a shelter for me, and a strong tower from the enemy.
5 I will abide in thy tabernacle for ever: I will trust in the covert of thy wings. Selah.
6 For thou, O God, hast heard my vows: thou hast given me the heritage of those that fear thy name.
7 Thou wilt prolong the king’s life: and his years as many generations.
8 He shall abide before God for ever: O prepare mercy and truth, which may preserve him.
9 So will I sing praise unto thy name for ever, that I may daily perform my vows.