Psalm 54
1 हे परमेश्वर अपने नाम के द्वारा मेरा उद्धार कर, और अपने पराक्रम से मेरा न्याय कर।
2 हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना सुन ले; मेरे मुंह के वचनों की ओर कान लगा॥
3 क्योंकि परदेशी मेरे विरुद्ध उठे हैं, और बलात्कारी मेरे प्राण के ग्राहक हुए हैं; उन्होंने परमेश्वर को अपने सम्मुख नहीं जाना॥
4 देखो, परमेश्वर मेरा सहायक है; प्रभु मेरे प्राण के सम्भालने वालों के संग है।
5 वह मेरे द्रोहियों की बुराई को उन्हीं पर लौटा देगा; हे परमेश्वर, अपनी सच्चाई के कारण उन्हें विनाश कर॥
6 मैं तुझे स्वेच्छाबलि चढ़ाऊंगा; हे यहोवा, मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूंगा, क्योंकि यह उत्तम है।
7 क्योंकि तू ने मुझे सब दुखों से छुड़ाया है, और मैं अपने शत्रुओं पर दृष्टि करके सन्तुष्ट हुआ हूं॥
1 To the chief Musician on Neginoth, Maschil, A Psalm of David, when the Ziphims came and said to Saul, Doth not David hide himself with us?
2 Save me, O God, by thy name, and judge me by thy strength.
3 Hear my prayer, O God; give ear to the words of my mouth.
4 For strangers are risen up against me, and oppressors seek after my soul: they have not set God before them. Selah.
5 Behold, God is mine helper: the Lord is with them that uphold my soul.
6 He shall reward evil unto mine enemies: cut them off in thy truth.
7 I will freely sacrifice unto thee: I will praise thy name, O Lord; for it is good.
8 For he hath delivered me out of all trouble: and mine eye hath seen his desire upon mine enemies.