Matthew 13:23
जो अच्छी भूमि में बोया गया, यह वह है, जो वचन को सुनकर समझता है, और फल लाता है कोई सौ गुना, कोई साठ गुना, कोई तीस गुना।
Matthew 13:23 in Other Translations
King James Version (KJV)
But he that received seed into the good ground is he that heareth the word, and understandeth it; which also beareth fruit, and bringeth forth, some an hundredfold, some sixty, some thirty.
American Standard Version (ASV)
And he that was sown upon the good ground, this is he that heareth the word, and understandeth it; who verily beareth fruit, and bringeth forth, some a hundredfold, some sixty, some thirty.
Bible in Basic English (BBE)
And the seed which was put in good earth, this is he who gives ear to the word, and gets the sense of it; who gives fruit, some a hundred, some sixty, some thirty times as much.
Darby English Bible (DBY)
But he that is sown upon the good ground -- this is he who hears and understands the word, who bears fruit also, and produces, one a hundred, one sixty, and one thirty.
World English Bible (WEB)
What was sown on the good ground, this is he who hears the word, and understands it, who most assuredly bears fruit, and brings forth, some one hundred times as much, some sixty, and some thirty."
Young's Literal Translation (YLT)
`And that sown on the good ground: this is he who is hearing the word, and is understanding, who indeed doth bear fruit, and doth make, some indeed a hundredfold, and some sixty, and some thirty.'
| But | ὁ | ho | oh |
| he | δὲ | de | thay |
| that received seed | ἐπὶ | epi | ay-PEE |
| into | τὴν | tēn | tane |
| the | γῆν | gēn | gane |
| good | τὴν | tēn | tane |
| καλὴν | kalēn | ka-LANE | |
| ground | σπαρείς, | spareis | spa-REES |
| is | οὗτός | houtos | OO-TOSE |
| he | ἐστιν | estin | ay-steen |
| that heareth | ὁ | ho | oh |
| τὸν | ton | tone | |
| the | λόγον | logon | LOH-gone |
| word, | ἀκούων | akouōn | ah-KOO-one |
| and | καὶ | kai | kay |
| understandeth | συνιών· | syniōn | syoon-ee-ONE |
| it; which | ὃς | hos | ose |
| also | δὴ | dē | thay |
| beareth fruit, | καρποφορεῖ | karpophorei | kahr-poh-foh-REE |
| and | καὶ | kai | kay |
| bringeth forth, | ποιεῖ | poiei | poo-EE |
| some | ὃ | ho | oh |
| μὲν | men | mane | |
| an hundredfold, | ἑκατόν, | hekaton | ake-ah-TONE |
| some | ὃ | ho | oh |
| δὲ | de | thay | |
| sixty, | ἑξήκοντα, | hexēkonta | ayks-A-kone-ta |
| some | ὃ | ho | oh |
| δὲ | de | thay | |
| thirty. | τριάκοντα | triakonta | tree-AH-kone-ta |
Cross Reference
Matthew 13:8
पर कुछ अच्छी भूमि पर गिरे, और फल लाए, कोई सौ गुना, कोई साठ गुना, कोई तीस गुना।
Matthew 12:33
यदि पेड़ को अच्छा कहो, तो उसके फल को भी अच्छा कहो; या पेड़ को निकम्मा कहो, तो उसके फल को भी निक्कमा कहो; क्योंकि पेड़ फल ही से पहचाना जाता है।
Colossians 1:6
जो तुम्हारे पास पहुंचा है और जैसा जगत में भी फल लाता, और बढ़ता जाता है; अर्थात जिस दिन से तुम ने उस को सुना, और सच्चाई से परमेश्वर का अनुग्रह पहिचाना है, तुम में भी ऐसा ही करता है।
Philippians 1:11
और उस धामिर्कता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिस से परमेश्वर की महिमा और स्तुति होती रहे॥
Galatians 5:22
पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज,
John 15:16
तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जाकर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।
James 1:21
इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर करके, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो, जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है।
Hebrews 4:2
क्योंकि हमें उन्हीं की नाईं सुसमाचार सुनाया गया है, पर सुने हुए वचन से उन्हें कुछ लाभ न हुआ; क्योंकि सुनने वालों के मन में विश्वास के साथ नहीं बैठा।
2 Thessalonians 2:13
पर हे भाइयो, और प्रभु के प्रिय लोगो चाहिये कि हम तुम्हारे विषय में सदा परमेश्वर का धन्यवाद करते रहें, कि परमेश्वर ने आदि से तुम्हें चुन लिया; कि आत्मा के द्वारा पवित्र बन कर, और सत्य की प्रतीति करके उद्धार पाओ।
2 Thessalonians 2:10
और नाश होने वालों के लिये अधर्म के सब प्रकार के धोखे के साथ होगा; क्योंकि उन्होंने सत्य के प्रेम को ग्रहण नहीं किया जिस से उन का उद्धार होता।
1 Thessalonians 4:1
निदान, हे भाइयों, हम तुम से बिनती करते हैं, और तुम्हें प्रभु यीशु में समझाते हैं, कि जैसे तुम ने हम से योग्य चाल चलना, और परमेश्वर को प्रसन्न करना सीखा है, और जैसा तुम चलते भी हो, वैसे ही और भी बढ़ते जाओ।
Colossians 1:10
ताकि तुम्हारा चाल-चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और परमेश्वर की पहिचान में बढ़ते जाओ।
Hebrews 6:7
क्योंकि जो भूमि वर्षा के पानी को जो उस पर बार बार पड़ता है, पी पीकर जिन लोगों के लिये वह जोती-बोई जाती है, उन के काम का साग-पात उपजाती है, वह परमेश्वर से आशीष पाती है।
Hebrews 8:10
फिर प्रभु कहता है, कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद इस्त्राएल के घराने के साथ बान्धूंगा, वह यह है, कि मैं अपनी व्यवस्था को उन के मनों में डालूंगा, और उसे उन के हृदय पर लिखूंगा, और मैं उन का परमेश्वर ठहरूंगा, और वे मेरे लोग ठहरेंगे।
Hebrews 13:15
इसलिये हम उसके द्वारा स्तुति रूपी बलिदान, अर्थात उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें।
1 Peter 2:1
इसलिये सब प्रकार का बैर भाव और छल और कपट और डाह और बदनामी को दूर करके।
2 Peter 1:5
और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्न करके, अपने विश्वास पर सद्गुण, और सद्गुण पर समझ।
2 Peter 3:18
पर हमारे प्रभु, और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनुग्रह और पहचान में बढ़ते जाओ। उसी की महिमा अब भी हो, और युगानुयुग होती रहे। आमीन॥
1 John 5:20
और यह भी जानते हैं, कि परमेश्वर का पुत्र आ गया है और उस ने हमें समझ दी है, कि हम उस सच्चे को पहचानें, और हम उस में जो सत्य है, अर्थात उसके पुत्र यीशु मसीह में रहते हैं: सच्चा परमेश्वर और अनन्त जीवन यही है।
Ezekiel 36:26
मैं तुम को नया मन दूंगा, और तुम्हारे भीतर नई आत्मा उत्पन्न करूंगा; और तुम्हारी देह में से पत्थर का हृदय निकाल कर तुम को मांस का हृदय दूंगा।
Philippians 4:17
यह नहीं कि मैं दान चाहता हूं परन्तु मैं ऐसा फल चाहता हूं, जो तुम्हारे लाभ के लिये बढ़ता जाए।
2 Corinthians 9:10
सो जो बोने वाले को बीज, और भोजन के लिये रोटी देता है वह तुम्हें बीज देगा, और उसे फलवन्त करेगा; और तुम्हारे धर्म के फलों को बढ़ाएगा।
2 Corinthians 8:1
अब हे भाइयों, हम तुम्हें परमेश्वर के उस अनुग्रह का समाचार देते हैं, जो मकिदुनिया की कलीसियाओं पर हुआ है।
Mark 10:15
मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो कोई परमेश्वर के राज्य को बालक की नाईं ग्रहण न करे, वह उस में कभी प्रवेश करने न पाएगा।
Mark 4:20
और जो अच्छी भूमि में बोए गए, ये वे हैं, जो वचन सुनकर ग्रहण करते और फल लाते हैं, कोई तीस गुणा, कोई साठ गुणा, और कोई सौ गुणा॥
Matthew 3:10
और अब कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर रखा हुआ है, इसलिये जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है।
Matthew 3:8
सो मन फिराव के योग्य फल लाओ।
Ezekiel 18:31
अपने सब अपराधों को जो तुम ने किए हैं, दूर करो; अपना मन और अपनी आत्मा बदल डालो! हे इस्राएल के घराने, तुम क्यों मरो?
Proverbs 2:2
और बुद्धि की बात ध्यान से सुने, और समझ की बात मन लगा कर सोचे;
Proverbs 1:5
कि बुद्धिमान सुन कर अपनी विद्या बढ़ाए, और समझदार बुद्धि का उपदेश पाए,
Psalm 92:13
वे यहोवा के भवन में रोपे जा कर, हमारे परमेश्वर के आंगनों में फूले फलेंगे।
Luke 6:43
कोई अच्छा पेड़ नहीं, जो निकम्मा फल लाए, और न तो कोई निकम्मा पेड़ है, जो अच्छा फल लाए।
Luke 8:15
पर अच्छी भूमि में के वे हैं, जो वचन सुनकर भले और उत्तम मन में सम्भाले रहते हैं, और धीरज से फल लाते हैं॥
Acts 17:11
ये लोग तो थिस्सलुनीके के यहूदियोंसे भले थे और उन्होंने बड़ी लालसा से वचन ग्रहण किया, और प्रति दिन पवित्र शास्त्रों में ढूंढ़ते रहे कि ये बातें यों ही हैं, कि नहीं।
Acts 16:14
और लुदिया नाम थुआथीरा नगर की बैंजनी कपड़े बेचने वाली एक भक्त स्त्री सुनती थी, और प्रभु ने उसका मन खोला, ताकि पौलुस की बातों पर चित्त लगाए।
John 17:7
अब वे जान गए हैं, कि जो कुछ तू ने मुझे दिया है, सब तेरी ओर से है।
John 15:1
सच्ची दाखलता मैं हूं; और मेरा पिता किसान है।
John 10:26
परन्तु तुम इसलिये प्रतीति नहीं करते, कि मेरी भेड़ों में से नहीं हो।
John 8:47
जो परमेश्वर से होता है, वह परमेश्वर की बातें सुनता है; और तुम इसलिये नहीं सुनते कि परमेश्वर की ओर से नहीं हो।
John 1:11
वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया।
Luke 13:9
सो आगे को फले तो भला, नहीं तो उसे काट डालना।
Psalm 1:1
क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है!