Lamentations 2:11
मेरी आंखें आंसू बहाते बहाते रह गई हैं; मेरी अन्तडिय़ां ऐंठी जाती हैं; मेरे लोगों की पुत्री के विनाश के कारण मेरा कलेजा फट गया है, क्योंकि बच्चे वरन दूधपिउवे बच्चे भी नगर के चौकों में मूर्च्छित होते हैं।
Mine eyes | כָּל֨וּ | kālû | ka-LOO |
do fail | בַדְּמָע֤וֹת | baddĕmāʿôt | va-deh-ma-OTE |
with tears, | עֵינַי֙ | ʿênay | ay-NA |
my bowels | חֳמַרְמְר֣וּ | ḥŏmarmĕrû | hoh-mahr-meh-ROO |
troubled, are | מֵעַ֔י | mēʿay | may-AI |
my liver | נִשְׁפַּ֤ךְ | nišpak | neesh-PAHK |
is poured | לָאָ֙רֶץ֙ | lāʾāreṣ | la-AH-RETS |
earth, the upon | כְּבֵדִ֔י | kĕbēdî | keh-vay-DEE |
for | עַל | ʿal | al |
destruction the | שֶׁ֖בֶר | šeber | SHEH-ver |
of the daughter | בַּת | bat | baht |
people; my of | עַמִּ֑י | ʿammî | ah-MEE |
because the children | בֵּֽעָטֵ֤ף | bēʿāṭēp | bay-ah-TAFE |
sucklings the and | עוֹלֵל֙ | ʿôlēl | oh-LALE |
swoon | וְיוֹנֵ֔ק | wĕyônēq | veh-yoh-NAKE |
in the streets | בִּרְחֹב֖וֹת | birḥōbôt | beer-hoh-VOTE |
of the city. | קִרְיָֽה׃ | qiryâ | keer-YA |