Isaiah 6:8 in Hindi

Hindi Hindi Bible Isaiah Isaiah 6 Isaiah 6:8

Isaiah 6:8
तब मैं ने प्रभु का यह वचन सुना, मैं किस को भेंजूं, और हमारी ओर से कौन जाएगा? तब मैं ने कहा, मैं यहां हूं! मुझे भेज

Isaiah 6:7Isaiah 6Isaiah 6:9

Isaiah 6:8 in Other Translations

King James Version (KJV)
Also I heard the voice of the Lord, saying, Whom shall I send, and who will go for us? Then said I, Here am I; send me.

American Standard Version (ASV)
And I heard the voice of the Lord, saying, Whom shall I send, and who will go for us? Then I said, Here am I; send me.

Bible in Basic English (BBE)
And the voice of the Lord came to my ears, saying, Whom am I to send, and who will go for us? Then I said, Here am I, send me.

Darby English Bible (DBY)
And I heard the voice of the Lord saying, Whom shall I send, and who will go for us? And I said, Here am I; send me.

World English Bible (WEB)
I heard the Lord's voice, saying, "Whom shall I send, and who will go for us?" Then I said, "Here I am. Send me!"

Young's Literal Translation (YLT)
And I hear the voice of the Lord, saying: `Whom do I send? and who doth go for Us?' And I say, `Here `am' I, send me.'

Also
I
heard
וָאֶשְׁמַ֞עwāʾešmaʿva-esh-MA

אֶתʾetet
the
voice
ק֤וֹלqôlkole
Lord,
the
of
אֲדֹנָי֙ʾădōnāyuh-doh-NA
saying,
אֹמֵ֔רʾōmēroh-MARE

אֶתʾetet
Whom
מִ֥יmee
send,
I
shall
אֶשְׁלַ֖חʾešlaḥesh-LAHK
and
who
וּמִ֣יûmîoo-MEE
will
go
יֵֽלֶךְyēlekYAY-lek
said
Then
us?
for
לָ֑נוּlānûLA-noo
I,
Here
am
I;
וָאֹמַ֖רwāʾōmarva-oh-MAHR
send
הִנְנִ֥יhinnîheen-NEE
me.
שְׁלָחֵֽנִי׃šĕlāḥēnîsheh-la-HAY-nee

Cross Reference

Exodus 4:10
मूसा ने यहोवा से कहा, हे मेरे प्रभु, मैं बोलने में निपुण नहीं, न तो पहिले था, और न जब से तू अपने दास से बातें करने लगा; मैं तो मुंह और जीभ का भद्दा हूं।

Ephesians 3:8
मुझ पर जो सब पवित्र लोगों में से छोटे से भी छोटा हूं, यह अनुग्रह हुआ, कि मैं अन्यजातियों को मसीह के अगम्य धन का सुसमाचार सुनाऊं।

Acts 26:16
परन्तु तू उठ, अपने पांवों पर खड़ा हो; क्योंकि मैं ने तुझे इसलिये दर्शन दिया है, कि तुझे उन बातों का भी सेवक और गवाह ठहराऊं, जो तू ने देखी हैं, और उन का भी जिन के लिये मैं तुझे दर्शन दूंगा।

Isaiah 65:1
जो मुझ को पूछते भी न थे वे मेरे खोजी हैं; जो मुझे ढूंढ़ते भी न थे उन्होंने मुझे पा लिया, और जो जाति मेरी नहीं कहलाई थी, उस से भी मैं कहता हूं, देख, मैं उपस्थित हूं।

Deuteronomy 4:33
क्या कोई जाति कभी परमेश्वर की वाणी आग के बीच में से आती हुई सुनकर जीवित रही, जैसे कि तू ने सुनी है?

Genesis 3:8
तब यहोवा परमेश्वर जो दिन के ठंडे समय बाटिका में फिरता था उसका शब्द उन को सुनाई दिया। तब आदम और उसकी पत्नी बाटिका के वृक्षों के बीच यहोवा परमेश्वर से छिप गए।

Genesis 1:26
फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें।

Acts 28:25
जब आपस में एक मत न हुए, तो पौलुस के इस एक बात के कहने पर चले गए, कि पवित्र आत्मा ने यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा तुम्हारे बाप दादों से अच्छा कहा, कि जाकर इन लोगों से कह।

Acts 22:21
और उस ने मुझ से कहा, चला जा: क्योंकि मैं तुझे अन्यजातियों के पास दूर दूर भेजूंगा॥

Acts 20:24
परन्तु मैं अपने प्राण को कुछ नहीं समझता: कि उसे प्रिय जानूं, वरन यह कि मैं अपनी दौड़ को, और उस सेवाकाई को पूरी करूं, जो मैं ने परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार पर गवाही देने के लिये प्रभु यीशु से पाई है।

Ezekiel 10:5
और करूबों के पंखों का शब्द बाहरी आंगन तक सुनाई देता था, वह सर्वशक्तिमान् परमेश्वर के बोलने का सा शब्द था।

1 Kings 22:20
तब यहोवा ने पूछा, अहाब को कौन ऐसा बहकाएगा, कि वह गिलाद के रामो पर चढ़ाई करके खेत आए तब किसी ते कुछ, और किसी ने कुछ कहा।

Acts 9:4
और वह भूमि पर गिर पड़ा, और यह शब्द सुना, कि हे शाऊल, हे शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है?

Matthew 4:20
वे तुरन्त जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।

Ezekiel 1:24
और उनके चलते समय उनके पंखों की फड़फड़ाहट की आहट मुझे बहुत से जल, वा सर्पशक्तिमान की वाणी, वा सेना के हलचल की सी सुनाईं पड़ती थी; और जब वे खड़े होते थे, तब अपने पंख लटका लेते थे।

Genesis 11:7
इसलिये आओ, हम उतर के उनकी भाषा में बड़ी गड़बड़ी डालें, कि वे एक दूसरे की बोली को न समझ सकें।

Genesis 3:22
फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, मनुष्य भले बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है: इसलिये अब ऐसा न हो, कि वह हाथ बढ़ा कर जीवन के वृक्ष का फल भी तोड़ के खा ले और सदा जीवित रहे।