भजन संहिता 6
1 हे यहोवा, तू मुझे अपने क्रोध में न डांट, और न झुंझलाहट में मुझे ताड़ना दे।
2 हे यहोवा, मुझ पर अनुग्रह कर, क्योंकि मैं कुम्हला गया हूं; हे यहोवा, मुझे चंगा कर, क्योंकि मेरी हडि्डयों में बेचैनी है।
3 मेरा प्राण भी बहुत खेदित है। और तू, हे यहोवा, कब तक?
4 लौट आ, हे यहोवा, और मेरे प्राण बचा अपनी करूणा के निमित्त मेरा उद्धार कर।
5 क्योंकि मृत्यु के बाद तेरा स्मरण नहीं होता; अधोलोक में कौन तेरा धन्यवाद करेगा?
6 मैं कराहते कराहते थक गया; मैं अपनी खाट आंसुओं से भिगोता हूं; प्रति रात मेरा बिछौना भीगता है।
7 मेरी आंखें शोक से बैठी जाती हैं, और मेरे सब सताने वालों के कारण वे धुन्धला गई हैं॥
8 हे सब अनर्थकारियों मेरे पास से दूर हो; क्योंकि यहोवा ने मेरे रोने का शब्द सुन लिया है।
9 यहोवा ने मेरा गिड़गिड़ाना सुना है; यहोवा मेरी प्रार्थना को ग्रहण भी करेगा।
10 मेरे सब शत्रु लज्जित होंगे और बहुत घबराएंगे; वे लौट जाएंगे, और एकाएक लज्जित होंगे॥
1 To the chief Musician on Neginoth upon Sheminith, A Psalm of David.
2 O Lord, rebuke me not in thine anger, neither chasten me in thy hot displeasure.
3 Have mercy upon me, O Lord; for I am weak: O Lord, heal me; for my bones are vexed.
4 My soul is also sore vexed: but thou, O Lord, how long?
5 Return, O Lord, deliver my soul: oh save me for thy mercies’ sake.
6 For in death there is no remembrance of thee: in the grave who shall give thee thanks?
7 I am weary with my groaning; all the night make I my bed to swim; I water my couch with my tears.
8 Mine eye is consumed because of grief; it waxeth old because of all mine enemies.
9 Depart from me, all ye workers of iniquity; for the Lord hath heard the voice of my weeping.
10 The Lord hath heard my supplication; the Lord will receive my prayer.
11 Let all mine enemies be ashamed and sore vexed: let them return and be ashamed suddenly.