भजन संहिता 50
1 ईश्वर परमेश्वर यहोवा ने कहा है, और उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक पृथ्वी के लोगों को बुलाया है।
2 सिय्योन से, जो परम सुन्दर है, परमेश्वर ने अपना तेज दिखाया है।
3 हमारा परमेश्वर आएगा और चुपचाप न रहेगा, आग उसके आगे आगे भस्म करती जाएगी; और उसके चारों ओर बड़ी आंधी चलेगी।
4 वह अपनी प्रजा का न्याय करने के लिये ऊपर से आकाश को और पृथ्वी को भी पुकारेगा:
5 मेरे भक्तों को मेरे पास इकट्ठा करो, जिन्होंने बलिदान चढ़ाकर मुझ से वाचा बान्धी है!
6 और स्वर्ग उसके धर्मी होने का प्रचार करेगा क्योंकि परमेश्वर तो आप ही न्यायी है॥
7 हे मेरी प्रजा, सुन, मैं बोलता हूं, और हे इस्राएल, मैं तेरे विषय साक्षी देता हूं। परमेश्वर तेरा परमेश्वर मैं ही हूं।
8 मैं तुझ पर तेरे मेल बलियों के विषय दोष नहीं लगाता, तेरे होमबलि तो नित्य मेरे लिये चढ़ते हैं।
9 मैं न तो तेरे घर से बैल न तेरे पशुशालों से बकरे ले लूंगा।
10 क्योंकि वन के सारे जीवजन्तु और हजारों पहाड़ों के जानवर मेरे ही हैं।
11 पहाड़ों के सब पक्षियों को मैं जानता हूं, और मैदान पर चलने फिरने वाले जानवार मेरे ही हैं॥
12 यदि मैं भूखा होता तो तुझ से न कहता; क्योंकि जगत और जो कुछ उस में है वह मेरा है।
13 क्या मैं बैल का मांस खाऊं, वा बकरों का लोहू पीऊं?
14 परमेश्वर को धन्यवाद ही का बलिदान चढ़ा, और परमप्रधान के लिये अपनी मन्नतें पूरी कर;
15 और संकट के दिन मुझे पुकार; मैं तुझे छुड़ाऊंगा, और तू मेरी महिमा करने पाएगा॥
16 परन्तु दुष्ट से परमेश्वर कहता है: तुझे मेरी विधियों का वर्णन करने से क्या काम? तू मेरी वाचा की चर्चा क्यों करता है?
17 तू तो शिक्षा से बैर करता, और मेरे वचनों को तुच्छ जानता है।
18 जब तू ने चोर को देखा, तब उसकी संगति से प्रसन्न हुआ; और परस्त्रीगामियों के साथ भागी हुआ॥
19 तू ने अपना मुंह बुराई करने के लिये खोला, और तेरी जीभ छल की बातें गढ़ती है।
20 तू बैठा हुआ अपने भाई के विरुद्ध बोलता; और अपने सगे भाई की चुगली खाता है।
21 यह काम तू ने किया, और मैं चुप रहा; इसलिये तू ने समझ लिया कि परमेश्वर बिलकुल मेरे समान है। परन्तु मैं तुझे समझाऊंगा, और तेरी आंखों के साम्हने सब कुछ अलग अलग दिखाऊंगा॥
22 हे ईश्वर को भूलने वालों यह बात भली भांति समझ लो, कहीं ऐसा न हो कि मैं तुम्हें फाड़ डालूं, और कोई छुड़ाने वाला न हो!
23 धन्यवाद के बलिदान का चढ़ाने वाला मेरी महिमा करता है; और जो अपना चरित्र उत्तम रखता है उसको मैं परमेश्वर का किया हुआ उद्धार दिखाऊंगा!
1 A Psalm of Asaph.
2 The mighty God, even the Lord, hath spoken, and called the earth from the rising of the sun unto the going down thereof.
3 Out of Zion, the perfection of beauty, God hath shined.
4 Our God shall come, and shall not keep silence: a fire shall devour before him, and it shall be very tempestuous round about him.
5 He shall call to the heavens from above, and to the earth, that he may judge his people.
6 Gather my saints together unto me; those that have made a covenant with me by sacrifice.
7 And the heavens shall declare his righteousness: for God is judge himself. Selah.
8 Hear, O my people, and I will speak; O Israel, and I will testify against thee: I am God, even thy God.
9 I will not reprove thee for thy sacrifices or thy burnt offerings, to have been continually before me.
10 I will take no bullock out of thy house, nor he goats out of thy folds.
11 For every beast of the forest is mine, and the cattle upon a thousand hills.
12 I know all the fowls of the mountains: and the wild beasts of the field are mine.
13 If I were hungry, I would not tell thee: for the world is mine, and the fulness thereof.
14 Will I eat the flesh of bulls, or drink the blood of goats?
15 Offer unto God thanksgiving; and pay thy vows unto the most High:
16 And call upon me in the day of trouble: I will deliver thee, and thou shalt glorify me.
17 But unto the wicked God saith, What hast thou to do to declare my statutes, or that thou shouldest take my covenant in thy mouth?
18 Seeing thou hatest instruction, and castest my words behind thee.
19 When thou sawest a thief, then thou consentedst with him, and hast been partaker with adulterers.
20 Thou givest thy mouth to evil, and thy tongue frameth deceit.
21 Thou sittest and speakest against thy brother; thou slanderest thine own mother’s son.
22 These things hast thou done, and I kept silence; thou thoughtest that I was altogether such an one as thyself: but I will reprove thee, and set them in order before thine eyes.
23 Now consider this, ye that forget God, lest I tear you in pieces, and there be none to deliver.
24 Whoso offereth praise glorifieth me: and to him that ordereth his conversation aright will I shew the salvation of God.