भजन संहिता 3
1 हे यहोवा मेरे सताने वाले कितने बढ़ गए हैं! वह जो मेरे विरूद्ध उठते हैं बहुत हैं।
2 बहुत से मेरे प्राण के विषय में कहते हैं, कि उसका बचाव परमेश्वर की ओर से नहीं हो सकता।
3 परन्तु हे यहोवा, तू तो मेरे चारों ओर मेरी ढ़ाल है, तू मेरी महिमा और मेरे मस्तिष्क का ऊंचा करने वाला है।
4 मैं ऊंचे शब्द से यहोवा को पुकारता हूं, और वह अपने पवित्र पर्वत पर से मुझे उत्तर देता है।
5 मैं लेटकर सो गया; फिर जाग उठा, क्योंकि यहोवा मुझे सम्हालता है।
6 मैं उन दस हजार मनुष्यों से नहीं डरता, जो मेरे विरूद्ध चारों ओर पांति बान्धे खड़े हैं॥
7 उठ, हे यहोवा! हे मेरे परमेश्वर मुझे बचा ले! क्योंकि तू ने मेरे सब शत्रुओं के जबड़ों पर मारा है और तू ने दुष्टों के दांत तोड़ डाले हैं॥
8 उद्धार यहोवा ही की ओर से होता है; हे यहोवा तेरी आशीष तेरी प्रजा पर हो॥
1 A Psalm of David, when he fled from Absalom his son.
2 Lord, how are they increased that trouble me! many are they that rise up against me.
3 Many there be which say of my soul, There is no help for him in God. Selah.
4 But thou, O Lord, art a shield for me; my glory, and the lifter up of mine head.
5 I cried unto the Lord with my voice, and he heard me out of his holy hill. Selah.
6 I laid me down and slept; I awaked; for the Lord sustained me.
7 I will not be afraid of ten thousands of people, that have set themselves against me round about.
8 Arise, O Lord; save me, O my God: for thou hast smitten all mine enemies upon the cheek bone; thou hast broken the teeth of the ungodly.
9 Salvation belongeth unto the Lord: thy blessing is upon thy people. Selah.