भजन संहिता 147:1
याह की स्तुति करो! क्योंकि अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है; क्योंकि वह मन भावना है, उसकी स्तुति करनी मन भावनी है।
Praise | הַ֥לְלוּ | hallû | HAHL-loo |
ye the Lord: | יָ֨הּ׀ | yāh | ya |
for | כִּי | kî | kee |
good is it | ט֭וֹב | ṭôb | tove |
to sing praises | זַמְּרָ֣ה | zammĕrâ | za-meh-RA |
God; our unto | אֱלֹהֵ֑ינוּ | ʾĕlōhênû | ay-loh-HAY-noo |
for | כִּֽי | kî | kee |
it is pleasant; | נָ֝עִים | nāʿîm | NA-eem |
and praise | נָאוָ֥ה | nāʾwâ | na-VA |
is comely. | תְהִלָּֽה׃ | tĕhillâ | teh-hee-LA |