भजन संहिता 112
1 याह की स्तुति करो। क्या ही धन्य है वह पुरूष जो यहोवा का भय मानता है, और उसकी आज्ञाओं से अति प्रसन्न रहता है!
2 उसका वंश पृथ्वी पर पराक्रमी होगा; सीधे लोगों की सन्तान आशीष पाएगी।
3 उसके घर में धन सम्पत्ति रहती है; और उसका धर्म सदा बना रहेगा।
4 सीधे लोगों के लिये अन्धकार के बीच में ज्योति उदय होती है; वह अनुग्रहकारी, दयावन्त और धर्मी होता है।
5 जो पुरूष अनुग्रह करता और उधार देता है, उसका कल्याण होता है, वह न्याय में अपने मुकद्दमें को जीतेगा।
6 वह तो सदा तक अटल रहेगा; धर्मी का स्मरण सदा तक बना रहेगा।
7 वह बुरे समाचार से नहीं डरता; उसका हृदय यहोवा पर भरोसा रखने से स्थिर रहता है।
8 उसका हृदय सम्भला हुआ है, इसलिये वह न डरेगा, वरन अपने द्रोहियों पर दृष्टि करके सन्तुष्ट होगा।
9 उसने उदारता से दरिद्रों को दान दिया, उसका धर्म सदा बना रहेगा और उसका सींग महिमा के साथ ऊंचा किया जाएगा।
10 दुष्ट उसे देख कर कुढेगा; वह दांत पीस- पीसकर गल जाएगा; दुष्टों की लालसा पूरी न होगी॥
1 Praise ye the Lord. Blessed is the man that feareth the Lord, that delighteth greatly in his commandments.
2 His seed shall be mighty upon earth: the generation of the upright shall be blessed.
3 Wealth and riches shall be in his house: and his righteousness endureth for ever.
4 Unto the upright there ariseth light in the darkness: he is gracious, and full of compassion, and righteous.
5 A good man sheweth favour, and lendeth: he will guide his affairs with discretion.
6 Surely he shall not be moved for ever: the righteous shall be in everlasting remembrance.
7 He shall not be afraid of evil tidings: his heart is fixed, trusting in the Lord.
8 His heart is established, he shall not be afraid, until he see his desire upon his enemies.
9 He hath dispersed, he hath given to the poor; his righteousness endureth for ever; his horn shall be exalted with honour.
10 The wicked shall see it, and be grieved; he shall gnash with his teeth, and melt away: the desire of the wicked shall perish.