नीतिवचन 18:4
मनुष्य के मुंह के वचन गहिरा जल, वा उमण्डने वाली नदी वा बुद्धि के सोते हैं।
The words | מַ֣יִם | mayim | MA-yeem |
of a man's | עֲ֭מֻקִּים | ʿămuqqîm | UH-moo-keem |
mouth | דִּבְרֵ֣י | dibrê | deev-RAY |
are as deep | פִי | pî | fee |
waters, | אִ֑ישׁ | ʾîš | eesh |
and the wellspring | נַ֥חַל | naḥal | NA-hahl |
of wisdom | נֹ֝בֵ֗עַ | nōbēaʿ | NOH-VAY-ah |
as a flowing | מְק֣וֹר | mĕqôr | meh-KORE |
brook. | חָכְמָֽה׃ | ḥokmâ | hoke-MA |