विलापगीत 2:12
वे अपनी अपनी माता से रोकर कहते हैं, अन्न और दाखमधु कहां हैं? वे नगर के चौकों में घायल किए हुए मनुष्य की नाईं मूर्च्छित हो कर अपने प्राण अपनी अपनी माता की गोद में छोड़ते हैं।
They say | לְאִמֹּתָם֙ | lĕʾimmōtām | leh-ee-moh-TAHM |
to their mothers, | יֹֽאמְר֔וּ | yōʾmĕrû | yoh-meh-ROO |
Where | אַיֵּ֖ה | ʾayyē | ah-YAY |
is corn | דָּגָ֣ן | dāgān | da-ɡAHN |
wine? and | וָיָ֑יִן | wāyāyin | va-YA-yeen |
when they swooned | בְּהִֽתְעַטְּפָ֤ם | bĕhitĕʿaṭṭĕpām | beh-hee-teh-ah-teh-FAHM |
as the wounded | כֶּֽחָלָל֙ | keḥālāl | keh-ha-LAHL |
streets the in | בִּרְחֹב֣וֹת | birḥōbôt | beer-hoh-VOTE |
of the city, | עִ֔יר | ʿîr | eer |
when their soul | בְּהִשְׁתַּפֵּ֣ךְ | bĕhištappēk | beh-heesh-ta-PAKE |
out poured was | נַפְשָׁ֔ם | napšām | nahf-SHAHM |
into | אֶל | ʾel | el |
their mothers' | חֵ֖יק | ḥêq | hake |
bosom. | אִמֹּתָֽם׃ | ʾimmōtām | ee-moh-TAHM |