यशायाह 57:1
धर्मी जन नाश होता है, और कोई इस बात की चिन्ता नहीं करता; भक्त मनुष्य उठा लिए जाते हैं, परन्तु कोई नहीं सोचता। धर्मी जन इसलिये उठा लिया गया कि आने वाली आपत्ति से बच जाए,
The righteous | הַצַּדִּ֣יק | haṣṣaddîq | ha-tsa-DEEK |
perisheth, | אָבָ֔ד | ʾābād | ah-VAHD |
and no | וְאֵ֥ין | wĕʾên | veh-ANE |
man | אִ֖ישׁ | ʾîš | eesh |
layeth | שָׂ֣ם | śām | sahm |
to it | עַל | ʿal | al |
heart: | לֵ֑ב | lēb | lave |
and merciful | וְאַנְשֵׁי | wĕʾanšê | veh-an-SHAY |
men | חֶ֤סֶד | ḥesed | HEH-sed |
away, taken are | נֶֽאֱסָפִים֙ | neʾĕsāpîm | neh-ay-sa-FEEM |
none | בְּאֵ֣ין | bĕʾên | beh-ANE |
considering | מֵבִ֔ין | mēbîn | may-VEEN |
that | כִּֽי | kî | kee |
the righteous | מִפְּנֵ֥י | mippĕnê | mee-peh-NAY |
away taken is | הָרָעָ֖ה | hārāʿâ | ha-ra-AH |
from | נֶאֱסַ֥ף | neʾĕsap | neh-ay-SAHF |
the evil | הַצַּדִּֽיק׃ | haṣṣaddîq | ha-tsa-DEEK |