यशायाह 55:10
जिस प्रकार से वर्षा और हिम आकाश से गिरते हैं और वहां यों ही लौट नहीं जाते, वरन भूमि पर पड़कर उपज उपजाते हैं जिस से बोने वाले को बीज और खाने वाले को रोटी मिलती है,
For | כִּ֡י | kî | kee |
as | כַּאֲשֶׁ֣ר | kaʾăšer | ka-uh-SHER |
the rain | יֵרֵד֩ | yērēd | yay-RADE |
down, cometh | הַגֶּ֨שֶׁם | haggešem | ha-ɡEH-shem |
and the snow | וְהַשֶּׁ֜לֶג | wĕhaššeleg | veh-ha-SHEH-leɡ |
from | מִן | min | meen |
heaven, | הַשָּׁמַ֗יִם | haššāmayim | ha-sha-MA-yeem |
and returneth | וְשָׁ֙מָּה֙ | wĕšāmmāh | veh-SHA-MA |
not | לֹ֣א | lōʾ | loh |
thither, | יָשׁ֔וּב | yāšûb | ya-SHOOV |
but | כִּ֚י | kî | kee |
אִם | ʾim | eem | |
watereth | הִרְוָ֣ה | hirwâ | heer-VA |
אֶת | ʾet | et | |
earth, the | הָאָ֔רֶץ | hāʾāreṣ | ha-AH-rets |
forth bring it maketh and | וְהוֹלִידָ֖הּ | wĕhôlîdāh | veh-hoh-lee-DA |
and bud, | וְהִצְמִיחָ֑הּ | wĕhiṣmîḥāh | veh-heets-mee-HA |
give may it that | וְנָ֤תַן | wĕnātan | veh-NA-tahn |
seed | זֶ֙רַע֙ | zeraʿ | ZEH-RA |
sower, the to | לַזֹּרֵ֔עַ | lazzōrēaʿ | la-zoh-RAY-ah |
and bread | וְלֶ֖חֶם | wĕleḥem | veh-LEH-hem |
to the eater: | לָאֹכֵֽל׃ | lāʾōkēl | la-oh-HALE |