यशायाह 50:2
इसका क्या कारण है कि जब मैं आया तब कोई न मिला? और जब मैं ने पुकारा, तब कोई न बोला? क्या मेरा हाथ ऐसा छोटा हो गया है कि छुड़ा नहीं सकता? क्या मुझ में उद्धार करने की शक्ति नहीं? देखो, मैं एक धमकी से समुद्र को सुखा देता हूं, मैं महानदों को रेगिस्तान बना देता हूं, उनकी मछलियां जल बिना मर जाती और बसाती हैं।
Wherefore, | מַדּ֨וּעַ | maddûaʿ | MA-doo-ah |
when I came, | בָּ֜אתִי | bāʾtî | BA-tee |
was there no | וְאֵ֣ין | wĕʾên | veh-ANE |
man? | אִ֗ישׁ | ʾîš | eesh |
when I called, | קָרָֽאתִי֮ | qārāʾtiy | ka-ra-TEE |
was there none | וְאֵ֣ין | wĕʾên | veh-ANE |
answer? to | עוֹנֶה֒ | ʿôneh | oh-NEH |
Is my hand | הֲקָצ֨וֹר | hăqāṣôr | huh-ka-TSORE |
shortened | קָצְרָ֤ה | qoṣrâ | kohts-RA |
at all, | יָדִי֙ | yādiy | ya-DEE |
redeem? cannot it that | מִפְּד֔וּת | mippĕdût | mee-peh-DOOT |
or | וְאִם | wĕʾim | veh-EEM |
have I no | אֵֽין | ʾên | ane |
power | בִּ֥י | bî | bee |
to deliver? | כֹ֖חַ | kōaḥ | HOH-ak |
behold, | לְהַצִּ֑יל | lĕhaṣṣîl | leh-ha-TSEEL |
at my rebuke | הֵ֣ן | hēn | hane |
up dry I | בְּגַעֲרָתִ֞י | bĕgaʿărātî | beh-ɡa-uh-ra-TEE |
the sea, | אַחֲרִ֣יב | ʾaḥărîb | ah-huh-REEV |
I make | יָ֗ם | yām | yahm |
rivers the | אָשִׂ֤ים | ʾāśîm | ah-SEEM |
a wilderness: | נְהָרוֹת֙ | nĕhārôt | neh-ha-ROTE |
their fish | מִדְבָּ֔ר | midbār | meed-BAHR |
stinketh, | תִּבְאַ֤שׁ | tibʾaš | teev-ASH |
no is there because | דְּגָתָם֙ | dĕgātām | deh-ɡa-TAHM |
water, | מֵאֵ֣ין | mēʾên | may-ANE |
and dieth | מַ֔יִם | mayim | MA-yeem |
for thirst. | וְתָמֹ֖ת | wĕtāmōt | veh-ta-MOTE |
בַּצָּמָֽא׃ | baṣṣāmāʾ | ba-tsa-MA |