यशायाह 40:22
यह वह है जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर आकाशमण्डल पर विराजमान है; और पृथ्वी के रहने वाले टिड्डी के तुल्य है; जो आकाश को मलमल की नाईं फैलाता और ऐसा तान देता है जैसा रहने के लिये तम्बू ताना जाता है;
It is he that sitteth | הַיֹּשֵׁב֙ | hayyōšēb | ha-yoh-SHAVE |
upon | עַל | ʿal | al |
the circle | ח֣וּג | ḥûg | hooɡ |
earth, the of | הָאָ֔רֶץ | hāʾāreṣ | ha-AH-rets |
and the inhabitants | וְיֹשְׁבֶ֖יהָ | wĕyōšĕbêhā | veh-yoh-sheh-VAY-ha |
thereof are as grasshoppers; | כַּחֲגָבִ֑ים | kaḥăgābîm | ka-huh-ɡa-VEEM |
out stretcheth that | הַנּוֹטֶ֤ה | hannôṭe | ha-noh-TEH |
the heavens | כַדֹּק֙ | kaddōq | ha-DOKE |
as a curtain, | שָׁמַ֔יִם | šāmayim | sha-MA-yeem |
out them spreadeth and | וַיִּמְתָּחֵ֥ם | wayyimtāḥēm | va-yeem-ta-HAME |
as a tent | כָּאֹ֖הֶל | kāʾōhel | ka-OH-hel |
to dwell in: | לָשָֽׁבֶת׃ | lāšābet | la-SHA-vet |