यशायाह 32:2
हर एक मानो आंधी से छिपने का स्थान, और बौछार से आड़ होगा; या निर्जल देश में जल के झरने, व तप्त भूमि में बड़ी चट्टान की छाया।
And a man | וְהָיָה | wĕhāyâ | veh-ha-YA |
shall be | אִ֥ישׁ | ʾîš | eesh |
place hiding an as | כְּמַֽחֲבֵא | kĕmaḥăbēʾ | keh-MA-huh-vay |
wind, the from | ר֖וּחַ | rûaḥ | ROO-ak |
and a covert | וְסֵ֣תֶר | wĕsēter | veh-SAY-ter |
from the tempest; | זָ֑רֶם | zārem | ZA-rem |
rivers as | כְּפַלְגֵי | kĕpalgê | keh-fahl-ɡAY |
of water | מַ֣יִם | mayim | MA-yeem |
in a dry place, | בְּצָי֔וֹן | bĕṣāyôn | beh-tsa-YONE |
shadow the as | כְּצֵ֥ל | kĕṣēl | keh-TSALE |
of a great | סֶֽלַע | selaʿ | SEH-la |
rock | כָּבֵ֖ד | kābēd | ka-VADE |
in a weary | בְּאֶ֥רֶץ | bĕʾereṣ | beh-EH-rets |
land. | עֲיֵפָֽה׃ | ʿăyēpâ | uh-yay-FA |