यशायाह 30:20
और चाहे प्रभु तुम्हें विपत्ति की रोटी और दु:ख का जल भी दे, तौभी तुम्हारे उपदेशक फिर न छिपें, और तुम अपनी आंखों से अपने उपदेशकों को देखते रहोगे।
And though the Lord | וְנָתַ֨ן | wĕnātan | veh-na-TAHN |
give | לָכֶ֧ם | lākem | la-HEM |
you the bread | אֲדֹנָ֛י | ʾădōnāy | uh-doh-NAI |
adversity, of | לֶ֥חֶם | leḥem | LEH-hem |
and the water | צָ֖ר | ṣār | tsahr |
of affliction, | וּמַ֣יִם | ûmayim | oo-MA-yeem |
not shall yet | לָ֑חַץ | lāḥaṣ | LA-hahts |
thy teachers | וְלֹֽא | wĕlōʾ | veh-LOH |
be removed into a corner | יִכָּנֵ֥ף | yikkānēp | yee-ka-NAFE |
more, any | עוֹד֙ | ʿôd | ode |
but thine eyes | מוֹרֶ֔יךָ | môrêkā | moh-RAY-ha |
shall | וְהָי֥וּ | wĕhāyû | veh-ha-YOO |
see | עֵינֶ֖יךָ | ʿênêkā | ay-NAY-ha |
רֹא֥וֹת | rōʾôt | roh-OTE | |
thy teachers: | אֶת | ʾet | et |
מוֹרֶֽיךָ׃ | môrêkā | moh-RAY-ha |