यशायाह 25:4
क्योंकि तू संकट में दीनों के लिये गढ़, और जब भयानक लोगों का झोंका भीत पर बौछार के समान होता था, तब तू दरिद्रोंके लिये उनकी शरण, और तपन में छाया का स्थान हुआ।
For | כִּֽי | kî | kee |
thou hast been | הָיִ֨יתָ | hāyîtā | ha-YEE-ta |
strength a | מָע֥וֹז | māʿôz | ma-OZE |
to the poor, | לַדָּ֛ל | laddāl | la-DAHL |
strength a | מָע֥וֹז | māʿôz | ma-OZE |
to the needy | לָאֶבְי֖וֹן | lāʾebyôn | la-ev-YONE |
distress, his in | בַּצַּר | baṣṣar | ba-TSAHR |
a refuge | ל֑וֹ | lô | loh |
storm, the from | מַחְסֶ֤ה | maḥse | mahk-SEH |
a shadow | מִזֶּ֙רֶם֙ | mizzerem | mee-ZEH-REM |
heat, the from | צֵ֣ל | ṣēl | tsale |
when | מֵחֹ֔רֶב | mēḥōreb | may-HOH-rev |
the blast | כִּ֛י | kî | kee |
ones terrible the of | ר֥וּחַ | rûaḥ | ROO-ak |
is as a storm | עָרִיצִ֖ים | ʿārîṣîm | ah-ree-TSEEM |
against the wall. | כְּזֶ֥רֶם | kĕzerem | keh-ZEH-rem |
קִֽיר׃ | qîr | keer |