यशायाह 22:1
दर्शन की तराई के विषय में भारी वचन। तुम्हें क्या हुआ कि तुम सब के सब छतों पर चढ़ गए हो,
The burden | מַשָּׂ֖א | maśśāʾ | ma-SA |
of the valley | גֵּ֣יא | gêʾ | ɡay |
of vision. | חִזָּי֑וֹן | ḥizzāyôn | hee-za-YONE |
What | מַה | ma | ma |
now, thee aileth | לָּ֣ךְ | lāk | lahk |
that | אֵפ֔וֹא | ʾēpôʾ | ay-FOH |
thou art wholly | כִּֽי | kî | kee |
up gone | עָלִ֥ית | ʿālît | ah-LEET |
to the housetops? | כֻּלָּ֖ךְ | kullāk | koo-LAHK |
לַגַּגּֽוֹת׃ | laggaggôt | la-ɡa-ɡote |