Hebrews 5:14
पर अन्न सयानों के लिये है, जिन के ज्ञानेन्द्रिय अभ्यास करते करते, भले बुरे में भेद करने के लिये पक्के हो गए हैं॥
Hebrews 5:14 in Other Translations
King James Version (KJV)
But strong meat belongeth to them that are of full age, even those who by reason of use have their senses exercised to discern both good and evil.
American Standard Version (ASV)
But solid food is for fullgrown men, `even' those who by reason of use have their senses exercised to discern good and evil.
Bible in Basic English (BBE)
But solid food is for men of full growth, even for those whose senses are trained by use to see what is good and what is evil.
Darby English Bible (DBY)
but solid food belongs to full-grown men, who, on account of habit, have their senses exercised for distinguishing both good and evil.
World English Bible (WEB)
But solid food is for those who are full grown, who by reason of use have their senses exercised to discern good and evil.
Young's Literal Translation (YLT)
and of perfect men is the strong food, who because of the use are having the senses exercised, unto the discernment both of good and of evil.
| But | τελείων | teleiōn | tay-LEE-one |
| δέ | de | thay | |
| strong | ἐστιν | estin | ay-steen |
| meat | ἡ | hē | ay |
| belongeth | στερεὰ | sterea | stay-ray-AH |
| age, full of are that them to | τροφή | trophē | troh-FAY |
who those even | τῶν | tōn | tone |
| by reason of | διὰ | dia | thee-AH |
| τὴν | tēn | tane | |
| use | ἕξιν | hexin | AYKS-een |
| have | τὰ | ta | ta |
| their | αἰσθητήρια | aisthētēria | ay-sthay-TAY-ree-ah |
| senses | γεγυμνασμένα | gegymnasmena | gay-gyoom-na-SMAY-na |
| exercised | ἐχόντων | echontōn | ay-HONE-tone |
| to | πρὸς | pros | prose |
| discern | διάκρισιν | diakrisin | thee-AH-kree-seen |
| both | καλοῦ | kalou | ka-LOO |
| good | τε | te | tay |
| and | καὶ | kai | kay |
| evil. | κακοῦ | kakou | ka-KOO |
Cross Reference
1 कुरिन्थियों 2:6
फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं: परन्तु इस संसार का और इस संसार के नाश होने वाले हाकिमों का ज्ञान नहीं।
इफिसियों 4:13
जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएं, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील डौल तक न बढ़ जाएं।
इफिसियों 1:18
और तुम्हारे मन की आंखें ज्योतिर्मय हों कि तुम जान लो कि उसके बुलाने से कैसी आशा होती है, और पवित्र लोगों में उस की मीरास की महिमा का धन कैसा है।
यशायाह 7:15
और जब तक वह बुरे को त्यागना और भले को ग्रहण करना न जाने तब तक वह मक्खन और मधु खाएगा।
1 राजा 3:9
तू अपने दास को अपनी प्रजा का न्याय करने के लिये समझने की ऐसी शक्ति दे, कि मैं भले बुरे को परख सकूं; क्योंकि कौन ऐसा है कि तेरी इतनी बड़ी प्रजा का न्याय कर सके?
रोमियो 14:1
जो विश्वास में निर्बल है, उसे अपनी संगति में ले लो; परन्तु उसी शंकाओं पर विवाद करने के लिये नहीं।
1 कुरिन्थियों 2:14
परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उस की दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उन की जांच आत्मिक रीति से होती है।
फिलिप्पियों 3:15
सो हम में से जितने सिद्ध हैं, यही विचार रखें, और यदि किसी बात में तुम्हारा और ही विचार हो तो परमेश्वर उसे भी तुम पर प्रगट कर देगा।
1 थिस्सलुनीकियों 5:21
सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो।
फिलिप्पियों 1:9
और मैं यह प्रार्थना करता हूं, कि तुम्हारा प्रेम, ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए।
उत्पत्ति 3:5
वरन परमेश्वर आप जानता है, कि जिस दिन तुम उसका फल खाओगे उसी दिन तुम्हारी आंखें खुल जाएंगी, और तुम भले बुरे का ज्ञान पाकर परमेश्वर के तुल्य हो जाओगे।
मत्ती 6:22
शरीर का दिया आंख है: इसलिये यदि तेरी आंख निर्मल हो, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला होगा।
2 शमूएल 14:17
सो तेरी दासी ने सोचा, कि मेरे प्रभु राजा के वचन से शान्ति मिले; क्योंकि मेरा प्रभु राजा परमेश्वर के किसी दूत की नाईं भले-बुरे में भेद कर सकता है; इसलिये तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहे।
1 राजा 3:11
तब परमेश्वर ने उस से कहा, इसलिये कि तू ने यह वरदान मांगा है, और न तो दीर्घायु और न धन और न अपने शत्रुओं का नाश मांगा है, परन्तु समझने के विवेक का वरदान मांगा है इसलिये सुन,
अय्यूब 6:30
क्या मेरे वचनों में कुछ कुटिलता है? क्या मैं दुष्टता नहीं पहचान सकता?
भजन संहिता 119:103
तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं!
श्रेष्ठगीत 1:3
तेरे भांति भांति के इत्रों का सुगन्ध उत्तम है, तेरा नाम उंडेले हुए इत्र के तुल्य है; इसीलिये कुमारियां तुझ से प्रेम रखती हैं
श्रेष्ठगीत 2:3
जैसे सेब के वृक्ष जंगल के वृक्षों के बीच में, वैसे ही मेरा प्रेमी जवानों के बीच में है। मैं उसकी छाया में हषिर्त हो कर बैठ गई, और उसका फल मुझे खाने मे मीठा लगा।
मत्ती 5:48
इसलिये चाहिये कि तुम सिद्ध बनो, जैसा तुम्हारा स्वर्गीय पिता सिद्ध है॥
याकूब 3:2
इसलिये कि हम सब बहुत बार चूक जाते हैं: जो कोई वचन में नहीं चूकता, वही तो सिद्ध मनुष्य है; और सारी देह पर भी लगाम लगा सकता है।
अय्यूब 34:3
क्योंकि जैसे जीभ से चखा जाता है, वैसे ही वचन कान से परखे जाते हैं।
अय्यूब 12:11
जैसे जीभ से भोजन चखा जाता है, क्या वैसे ही कान से वचन नहीं परखे जाते?