Genesis 7:4
क्योंकि अब सात दिन और बीतने पर मैं पृथ्वी पर चालीस दिन और चालीस रात तक जल बरसाता रहूंगा; जितनी वस्तुएं मैं ने बनाईं हैं सब को भूमि के ऊपर से मिटा दूंगा।
Genesis 7:4 in Other Translations
King James Version (KJV)
For yet seven days, and I will cause it to rain upon the earth forty days and forty nights; and every living substance that I have made will I destroy from off the face of the earth.
American Standard Version (ASV)
For yet seven days, and I will cause it to rain upon the earth forty days and forty nights; and every living thing that I have made will I destroy from off the face of the ground.
Bible in Basic English (BBE)
For after seven days I will send rain on the earth for forty days and forty nights, for the destruction of every living thing which I have made on the face of the earth.
Darby English Bible (DBY)
For in yet seven days I will cause it to rain on the earth forty days and forty nights; and every living being which I have made will I destroy from the ground.
Webster's Bible (WBT)
For yet seven days, and I will cause it to rain upon the earth forty days and forty nights: and every living substance that I have made will I destroy from the face of the earth.
World English Bible (WEB)
In seven days, I will cause it to rain on the earth for forty days and forty nights. Every living thing that I have made, I will destroy from the surface of the ground."
Young's Literal Translation (YLT)
for after other seven days I am sending rain on the earth forty days and forty nights, and have wiped away all the substance that I have made from off the face of the ground.'
| For | כִּי֩ | kiy | kee |
| yet | לְיָמִ֨ים | lĕyāmîm | leh-ya-MEEM |
| seven | ע֜וֹד | ʿôd | ode |
| days, | שִׁבְעָ֗ה | šibʿâ | sheev-AH |
| and I | אָֽנֹכִי֙ | ʾānōkiy | ah-noh-HEE |
| rain to it cause will | מַמְטִ֣יר | mamṭîr | mahm-TEER |
| upon | עַל | ʿal | al |
| the earth | הָאָ֔רֶץ | hāʾāreṣ | ha-AH-rets |
| forty | אַרְבָּעִ֣ים | ʾarbāʿîm | ar-ba-EEM |
| days | י֔וֹם | yôm | yome |
| and forty | וְאַרְבָּעִ֖ים | wĕʾarbāʿîm | veh-ar-ba-EEM |
| nights; | לָ֑יְלָה | lāyĕlâ | LA-yeh-la |
and | וּמָחִ֗יתִי | ûmāḥîtî | oo-ma-HEE-tee |
| every | אֶֽת | ʾet | et |
| living substance | כָּל | kāl | kahl |
| that | הַיְקוּם֙ | hayqûm | hai-KOOM |
| I have made | אֲשֶׁ֣ר | ʾăšer | uh-SHER |
| destroy I will | עָשִׂ֔יתִי | ʿāśîtî | ah-SEE-tee |
| from off | מֵעַ֖ל | mēʿal | may-AL |
| the face | פְּנֵ֥י | pĕnê | peh-NAY |
| of the earth. | הָֽאֲדָמָֽה׃ | hāʾădāmâ | HA-uh-da-MA |
Cross Reference
उत्पत्ति 7:17
और पृथ्वी पर चालीस दिन तक प्रलय होता रहा; और पानी बहुत बढ़ता ही गया जिस से जहाज ऊपर को उठने लगा, और वह पृथ्वी पर से ऊंचा उठ गया।
उत्पत्ति 7:12
और वर्षा चालीस दिन और चालीस रात निरन्तर पृथ्वी पर होती रही।
उत्पत्ति 6:17
और सुन, मैं आप पृथ्वी पर जलप्रलय करके सब प्राणियों को, जिन में जीवन की आत्मा है, आकाश के नीचे से नाश करने पर हूं: और सब जो पृथ्वी पर हैं मर जाएंगे।
उत्पत्ति 6:13
तब परमेश्वर ने नूह से कहा, सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे साम्हने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिये मैं उन को पृथ्वी समेत नाश कर डालूंगा।
उत्पत्ति 6:7
तब यहोवा ने सोचा, कि मैं मनुष्य को जिसकी मैं ने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटा दूंगा; क्या मनुष्य, क्या पशु, क्या रेंगने वाले जन्तु, क्या आकाश के पक्षी, सब को मिटा दूंगा क्योंकि मैं उनके बनाने से पछताता हूं।
अय्यूब 28:25
जब उसने वायु का तौल ठहराया, और जल को नपुए में नापा,
भजन संहिता 69:28
उनका नाम जीवन की पुस्तक में से काटा जाए, और धर्मियों के संग लिखा न जाए॥
आमोस 4:7
और जब कटनी के तीन महीने रह गए, तब मैं ने तुम्हारे लिये वर्षा न की; मैं ने एक नगर में जल बरसा कर दूसरे में न बरसाया; एक खेत में जल बरसा, और दूसरा खेत जिस में न बरसा; वह सूख गया।
प्रकाशित वाक्य 3:5
जो जय पाए, उसे इसी प्रकार श्वेत वस्त्र पहिनाया जाएगा, और मैं उसका नाम जीवन की पुस्तक में से किसी रीति से न काटूंगा, पर उसका नाम अपने पिता और उसके स्वर्गदूतों के साम्हने मान लूंगा।
अय्यूब 22:16
वे अपने समय से पहले उठा लिए गए और उनके घर की नेव नदी बहा ले गई।
उत्पत्ति 8:12
फिर उसने सात दिन और ठहरकर उसी कबूतरी को उड़ा दिया; और वह उसके पास फिर कभी लौट कर न आई।
अय्यूब 37:11
फिर वह घटाओं को भाफ़ से लादता, और अपनी बिजली से भरे हुए उजियाले का बादल दूर तक फैलाता है।
उत्पत्ति 7:10
सात दिन के उपरान्त प्रलय का जल पृथ्वी पर आने लगा।
उत्पत्ति 6:3
और यहोवा ने कहा, मेरा आत्मा मनुष्य से सदा लों विवाद करता न रहेगा, क्योंकि मनुष्य भी शरीर ही है: उसकी आयु एक सौ बीस वर्ष की होगी।
उत्पत्ति 7:21
और क्या पक्षी, क्या घरेलू पशु, क्या बनैले पशु, और पृथ्वी पर सब चलने वाले प्राणी, और जितने जन्तु पृथ्वी मे बहुतायत से भर गए थे, वे सब, और सब मनुष्य मर गए।
उत्पत्ति 8:10
तब और सात दिन तक ठहर कर, उसने उसी कबूतरी को जहाज में से फिर उड़ा दिया।
उत्पत्ति 29:27
इसका सप्ताह तो पूरा कर; फिर दूसरी भी तुझे उस सेवा के लिये मिलेगी जो तू मेरे साथ रह कर और सात वर्ष तक करेगा।
निर्गमन 32:32
तौभी अब तू उनका पाप क्षमा कर नहीं तो अपनी लिखी हुई पुस्तक में से मेरे नाम को काट दे।
अय्यूब 36:27
क्योंकि वह तो जल की बूंदें ऊपर को खींच लेता है वे कुहरे से मेंह हो कर टपकती हैं,
उत्पत्ति 2:5
तब मैदान का कोई पौधा भूमि पर न था, और न मैदान का कोई छोटा पेड़ उगा था, क्योंकि यहोवा परमेश्वर ने पृथ्वी पर जल नहीं बरसाया था, और भूमि पर खेती करने के लिये मनुष्य भी नहीं था;