Genesis 1:6
फिर परमेश्वर ने कहा, जल के बीच एक ऐसा अन्तर हो कि जल दो भाग हो जाए।
Genesis 1:6 in Other Translations
King James Version (KJV)
And God said, Let there be a firmament in the midst of the waters, and let it divide the waters from the waters.
American Standard Version (ASV)
And God said, Let there be a firmament in the midst of the waters, and let it divide the waters from the waters.
Bible in Basic English (BBE)
And God said, Let there be a solid arch stretching over the waters, parting the waters from the waters.
Darby English Bible (DBY)
And God said, Let there be an expanse in the midst of the waters, and let it be a division between waters and waters.
Webster's Bible (WBT)
And God said, Let there be a firmament in the midst of the waters, and let it divide the waters from the waters.
World English Bible (WEB)
God said, "Let there be an expanse in the midst of the waters, and let it divide the waters from the waters."
Young's Literal Translation (YLT)
And God saith, `Let an expanse be in the midst of the waters, and let it be separating between waters and waters.'
| And God | וַיֹּ֣אמֶר | wayyōʾmer | va-YOH-mer |
| said, | אֱלֹהִ֔ים | ʾĕlōhîm | ay-loh-HEEM |
| Let there be | יְהִ֥י | yĕhî | yeh-HEE |
| firmament a | רָקִ֖יעַ | rāqîaʿ | ra-KEE-ah |
| in the midst | בְּת֣וֹךְ | bĕtôk | beh-TOKE |
| waters, the of | הַמָּ֑יִם | hammāyim | ha-MA-yeem |
| and let | וִיהִ֣י | wîhî | vee-HEE |
| it divide | מַבְדִּ֔יל | mabdîl | mahv-DEEL |
| בֵּ֥ין | bên | bane | |
| the waters | מַ֖יִם | mayim | MA-yeem |
| from the waters. | לָמָֽיִם׃ | lāmāyim | la-MA-yeem |
Cross Reference
यिर्मयाह 51:15
उसी ने पृथ्वी को अपने सामर्थ से बनाया, और जगत को अपनी बुद्धि से स्थिर किया; और आकाश को अपनी प्रवीणता से तान दिया है।
भजन संहिता 104:2
जो उजियाले को चादर की नाईं ओढ़े रहता है, और आकाश को तम्बू के समान ताने रहता है,
अय्यूब 37:18
फिर क्या तू उसके साथ आकाशमण्डल को तान सकता है, जो ढाले हुए दर्पण के तुल्य दृढ़ है?
भजन संहिता 33:6
आकाशमण्डल यहोवा के वचन से, और उसके सारे गण उसके मुंह ही श्वास से बने।
अय्यूब 26:7
वह उत्तर दिशा को निराधार फैलाए रहता है, और बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखता है।
भजन संहिता 33:9
क्योंकि जब उसने कहा, तब हो गया; जब उसने आज्ञा दी, तब वास्तव में वैसा ही हो गया॥
भजन संहिता 136:5
उसने अपनी बुद्धि से आकाश बनाया, उसकी करूणा सदा की है।
यिर्मयाह 10:12
उसी ने पृथ्वी को अपनी सामर्थ से बनाया, उसने जगत को अपनी बुद्धि से स्थिर किया, और आकाश को अपनी प्रवीणता से तान दिया है।
जकर्याह 12:1
इस्राएल के विषय में यहोवा का कहा हुआ भारी वचन: यहोवा को आकाश का तानने वाला, पृथ्वी की नेव डालने वाला और मनुष्य की आत्मा का रचने वाला है, उसकी यह वाणी है,
भजन संहिता 19:1
आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है।
यिर्मयाह 10:10
परन्तु यहोवा वास्तव में परमेश्वर है; जीवित परमेश्वर और सदा का राजा वही है। उसके प्रकोप से पृथ्वी कांपती है, और जाति जाति के लोग उसके क्रोध को सह नहीं सकते।
उत्पत्ति 1:20
फिर परमेश्वर ने कहा, जल जीवित प्राणियों से बहुत ही भर जाए, और पक्षी पृथ्वी के ऊपर आकाश के अन्तर में उड़ें।
उत्पत्ति 7:11
जब नूह की अवस्था के छ: सौवें वर्ष के दूसरे महीने का सत्तरहवां दिन आया; उसी दिन बड़े गहिरे समुद्र के सब सोते फूट निकले और आकाश के झरोखे खुल गए।
अय्यूब 26:13
उसकी आत्मा से आकाशमण्डल स्वच्छ हो जाता है, वह अपने हाथ से वेग भागने वाले नाग को मार देता है।
अय्यूब 37:11
फिर वह घटाओं को भाफ़ से लादता, और अपनी बिजली से भरे हुए उजियाले का बादल दूर तक फैलाता है।
अय्यूब 38:22
फिर क्या तू कभी हिम के भणडार में पैठा, वा कभी ओलों के भणडार को तू ने देखा है,
भजन संहिता 148:4
हे सब से ऊंचे आकाश, और हे आकाश के ऊपर वाले जल, तुम दोनों उसकी स्तुति करो।
भजन संहिता 150:1
याह की स्तुति करो! ईश्वर के पवित्रस्थान में उसकी स्तुति करो; उसकी सामर्थ्य से भरे हुए आकाशमण्डल में उसी की स्तुति करो!
सभोपदेशक 11:3
यदि बादल जल भरे हैं, तब उसको भूमि पर उण्डेल देते हैं; और वृक्ष चाहे दक्खिन की ओर गिरे या उत्तर की ओर, तौभी जिस स्थान पर वृक्ष गिरेगा, वहीं पड़ा रहेगा।
उत्पत्ति 1:14
फिर परमेश्वर ने कहा, दिन को रात से अलग करने के लिये आकाश के अन्तर में ज्योतियां हों; और वे चिन्हों, और नियत समयों, और दिनों, और वर्षों के कारण हों।