Ecclesiastes 6:12
क्योंकि मनुष्य के क्षणिक व्यर्थ जीवन में जो वह परछाईं की नाईं बिताता है कौन जानता है कि उसके लिये अच्छा क्या है? क्योंकि मनुष्य को कौन बता सकता है कि उसके बाद दुनिया में क्या होगा?
Ecclesiastes 6:12 in Other Translations
King James Version (KJV)
For who knoweth what is good for man in this life, all the days of his vain life which he spendeth as a shadow? for who can tell a man what shall be after him under the sun?
American Standard Version (ASV)
For who knoweth what is good for man in `his' life, all the days of his vain life which he spendeth as a shadow? for who can tell a man what shall be after him under the sun?
Bible in Basic English (BBE)
Who is able to say what is good for man in life all the days of his foolish life which he goes through like a shade? who will say what is to be after him under the sun?
Darby English Bible (DBY)
For who knoweth what is good for man in life, all the days of his vain life which he spendeth as a shadow? for who can tell man what shall be after him under the sun?
World English Bible (WEB)
For who knows what is good for man in life, all the days of his vain life which he spends like a shadow? For who can tell a man what will be after him under the sun?
Young's Literal Translation (YLT)
For who knoweth what `is' good for a man in life, the number of the days of the life of his vanity, and he maketh them as a shadow? for who declareth to man what is after him under the sun?
| For | כִּ֣י | kî | kee |
| who | מִֽי | mî | mee |
| knoweth | יוֹדֵעַ֩ | yôdēʿa | yoh-day-AH |
| what | מַה | ma | ma |
| is good | טּ֨וֹב | ṭôb | tove |
| for man | לָֽאָדָ֜ם | lāʾādām | la-ah-DAHM |
| life, this in | בַּֽחַיִּ֗ים | baḥayyîm | ba-ha-YEEM |
| all | מִסְפַּ֛ר | mispar | mees-PAHR |
| the days | יְמֵי | yĕmê | yeh-MAY |
| of his vain | חַיֵּ֥י | ḥayyê | ha-YAY |
| life | הֶבְל֖וֹ | heblô | hev-LOH |
| spendeth he which | וְיַעֲשֵׂ֣ם | wĕyaʿăśēm | veh-ya-uh-SAME |
| as a shadow? | כַּצֵּ֑ל | kaṣṣēl | ka-TSALE |
| for | אֲשֶׁר֙ | ʾăšer | uh-SHER |
| who | מִֽי | mî | mee |
| can tell | יַגִּ֣יד | yaggîd | ya-ɡEED |
| man a | לָֽאָדָ֔ם | lāʾādām | la-ah-DAHM |
| what | מַה | ma | ma |
| shall be | יִּהְיֶ֥ה | yihye | yee-YEH |
| after | אַחֲרָ֖יו | ʾaḥărāyw | ah-huh-RAV |
| him under | תַּ֥חַת | taḥat | TA-haht |
| the sun? | הַשָּֽׁמֶשׁ׃ | haššāmeš | ha-SHA-mesh |
Cross Reference
अय्यूब 14:2
वह फूल की नाईं खिलता, फिर तोड़ा जाता हे; वह छाया की रीति पर ढल जाता, और कहीं ठहरता नहीं।
याकूब 4:14
और यह नहीं जानते कि कल क्या होगा: सुन तो लो, तुम्हारा जीवन है ही क्या? तुम तो मानो भाप समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है।
विलापगीत 3:24
मेरे मन ने कहा, यहोवा मेरा भाग है, इस कारण मैं उस में आशा रखूंगा।
सभोपदेशक 3:22
सो मैं ने यह देखा कि इस से अधिक कुछ अच्छा नहीं कि मनुष्य अपने कामों में आनन्दित रहे, क्योंकि उसका भाग्य यही है; कौन उसके पीछे होने वाली बातों को देखने के लिये उसको लौटा लाएगा?
भजन संहिता 39:5
देख, तू ने मेरे आयु बालिश्त भर की रखी है, और मेरी अवस्था तेरी दृष्टि में कुछ है ही नहीं। सचमुच सब मनुष्य कैसे ही स्थिर क्यों न हों तौभी व्यर्थ ठहरे हैं।
भजन संहिता 144:4
मनुष्य तो सांस के समान है; उसके दिन ढलती हुई छाया के समान हैं॥
सभोपदेशक 8:7
वह नहीं जानता कि क्या होने वाला है, और कब होगा? यह उसको कौन बता सकता है?
सभोपदेशक 8:13
परन्तु दुष्ट का भला नहीं होने का, और न उसकी जीवनरूपी छाया लम्बी होने पाएगी, क्योंकि वह परमेश्वर का भय नहीं मानता॥
मीका 6:8
हे मनुष्य, वह तुझे बता चुका है कि अच्छा क्या है; और यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले?
सभोपदेशक 12:13
सब कुछ सुना गया; अन्त की बात यह है कि परमेश्वर का भय मान और उसकी आज्ञाओं का पालन कर; क्योंकि मनुष्य का सम्पूर्ण कर्त्तव्य यही है।
सभोपदेशक 9:6
उनका प्रेम और उनका बैर और उनकी डाह नाश हो चुकी, और अब जो कुछ सूर्य के नीचे किया जाता है उस में सदा के लिये उनका और कोई भाग न होगा॥
सभोपदेशक 2:3
मैं ने मन में सोचा कि किस प्रकार से मेरी बुद्धि बनी रहे और मैं अपने प्राण को दाखमधु पीने से क्योंकर बहलाऊं और क्योंकर मूर्खता को थामे रहूं, जब तक मालूम न करूं कि वह अच्छा काम कौन सा है जिसे मनुष्य जीवन भर करता रहे।
भजन संहिता 109:23
मैं ढलती हुई छाया की नाईं जाता रहा हूं; मैं टिड्डी के समान उड़ा दिया गया हूं।
अय्यूब 8:9
क्योंकि हम तो कल ही के हैं, और कुछ नहीं जानते; और पृथ्वी पर हमारे दिन छाया की नाईं बीतते जाते हैं।
अय्यूब 14:21
उसके पुत्रों की बड़ाई होती है, और यह उसे नहीं सूझता; और उनकी घटी होती है, परन्तु वह उनका हाल नहीं जानता।
भजन संहिता 4:6
बहुत से हैं जो कहते हैं, कि कौन हम को कुछ भलाई दिखाएगा? हे यहोवा तू अपने मुख का प्रकाश हम पर चमका!
भजन संहिता 16:5
यहोवा मेरा भाग और मेरे कटोरे का हिस्सा है; मेरे बाट को तू स्थिर रखता है।
भजन संहिता 17:15
परन्तु मैं तो धर्मी होकर तेरे मुख का दर्शन करूंगा जब मैं जानूंगा तब तेरे स्वरूप से सन्तुष्ट हूंगा॥
भजन संहिता 47:4
वह हमारे लिये उत्तम भाग चुन लेगा, जो उसके प्रिय याकूब के घमण्ड का कारण है॥
भजन संहिता 89:47
मेरा स्मरण कर, कि मैं कैसा अनित्य हूं, तू ने सब मनुष्यों को क्यों व्यर्थ सिरजा है?
भजन संहिता 90:10
हमारी आयु के वर्ष सत्तर तो होते हैं, और चाहे बल के कारण अस्सी वर्ष के भी हो जाएं, तौभी उनका घमण्ड केवल नष्ट और शोक ही शोक है; क्योंकि वह जल्दी कट जाती है, और हम जाते रहते हैं।
भजन संहिता 102:11
मेरी आयु ढलती हुई छाया के समान है; और मैं आप घास की नाईं सूख चला हूं॥
1 इतिहास 29:15
तेरी दृष्टि में हम तो अपने सब पुरखाओं की नाईं पराए और परदेशी हैं; पृथ्वी पर हमारे दिन छाया की नाईं बीते जाते हैं, और हमारा कुछ ठिकाना नहीं।