Ecclesiastes 2:22
मनुष्य जो धरती पर मन लगा लगाकर परिश्रम करता है उस से उसको क्या लाभ होता है?
Ecclesiastes 2:22 in Other Translations
King James Version (KJV)
For what hath man of all his labour, and of the vexation of his heart, wherein he hath laboured under the sun?
American Standard Version (ASV)
For what hath a man of all his labor, and of the striving of his heart, wherein he laboreth under the sun?
Bible in Basic English (BBE)
What does a man get for all his work, and for the weight of care with which he has done his work under the sun?
Darby English Bible (DBY)
For what will man have of all his labour and of the striving of his heart, wherewith he hath wearied himself under the sun?
World English Bible (WEB)
For what has a man of all his labor, and of the striving of his heart, in which he labors under the sun?
Young's Literal Translation (YLT)
For what hath been to a man by all his labour, and by the thought of his heart that he laboured at under the sun?
| For | כִּ֠י | kî | kee |
| what | מֶֽה | me | meh |
| hath | הוֶֹ֤ה | hôe | hoh-EH |
| man | לָֽאָדָם֙ | lāʾādām | la-ah-DAHM |
| all of | בְּכָל | bĕkāl | beh-HAHL |
| his labour, | עֲמָל֔וֹ | ʿămālô | uh-ma-LOH |
| vexation the of and | וּבְרַעְי֖וֹן | ûbĕraʿyôn | oo-veh-ra-YONE |
| of his heart, | לִבּ֑וֹ | libbô | LEE-boh |
| wherein | שֶׁה֥וּא | šehûʾ | sheh-HOO |
| laboured hath he | עָמֵ֖ל | ʿāmēl | ah-MALE |
| under | תַּ֥חַת | taḥat | TA-haht |
| the sun? | הַשָּֽׁמֶשׁ׃ | haššāmeš | ha-SHA-mesh |
Cross Reference
सभोपदेशक 1:3
उस सब परिश्रम से जिसे मनुष्य धरती पर करता है, उसको क्या लाभ प्राप्त होता है?
सभोपदेशक 3:9
काम करने वाले को अधिक परिश्रम से क्या लाभ होता है?
फिलिप्पियों 4:6
किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं।
मत्ती 6:34
सो कल के लिये चिन्ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा; आज के लिये आज ही का दुख बहुत है॥
1 पतरस 5:7
और अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उस को तुम्हारा ध्यान है।
1 तीमुथियुस 6:8
और यदि हमारे पास खाने और पहिनने को हो, तो इन्हीं पर सन्तोष करना चाहिए।
लूका 12:29
और तुम इस बात की खोज में न रहो, कि क्या खाएंगे और क्या पीएंगे, और न सन्देह करो।
लूका 12:22
फिर उस ने अपने चेलों से कहा; इसलिये मैं तुम से कहता हूं, अपने प्राण की चिन्ता न करो, कि हम क्या खाएंगे; न अपने शरीर की कि क्या पहिनेंगे।
मत्ती 16:26
यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? या मनुष्य अपने प्राण के बदले में क्या देगा?
मत्ती 6:25
इसलिये मैं तुम से कहता हूं, कि अपने प्राण के लिये यह चिन्ता न करना कि हम क्या खाएंगे? और क्या पीएंगे? और न अपने शरीर के लिये कि क्या पहिनेंगे? क्या प्राण भोजन से, और शरीर वस्त्र से बढ़कर नहीं?
मत्ती 6:11
हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे।
सभोपदेशक 8:15
तब मैं ने आनन्द को सराहा, क्योंकि सूर्य के नीचे मनुष्य के लिये खाने-पीने और आनन्द करने को छोड़ और कुछ भी अच्छा नहीं, क्योंकि यही उसके जीवन भर जो परमेश्वर उसके लिये धरती पर ठहराए, उसके परिश्रम में उसके संग बना रहेगा॥
सभोपदेशक 6:7
मनुष्य का सारा परिश्रम उसके पेट के लिये होता है तौभी उसका मन नहीं भरता।
सभोपदेशक 5:17
केवल इसके कि उसने जीवन भर बेचैनी से भोजन किया, और बहुत ही दु:खित और रोगी रहा और क्रोध भी करता रहा?
सभोपदेशक 5:10
जो रूपये से प्रीति रखता है वह रूपये से तृप्त न होगा; और न जो बहुत धन से प्रीति रखता है, लाभ से: यह भी व्यर्थ है।
सभोपदेशक 4:8
कोई अकेला रहता और उसका कोई नहीं है; न उसके बेटा है, न भाई है, तौभी उसके परिश्रम का अन्त नहीं होता; न उसकी आंखें धन से सन्तुष्ट होती हैं, और न वह कहता है, मैं किस के लिये परिश्रम करता और अपने जीवन को सुखरहित रखता हूं? यह भी व्यर्थ और निरा दु:खभरा काम है।
सभोपदेशक 4:6
चैन के साथ एक मुट्ठी उन दो मुट्ठियों से अच्छा है, जिनके साथ परिश्रम और मन का कुढ़ना हो॥
नीतिवचन 16:26
परिश्र्मी की लालसा उसके लिये परिश्रम करती है, उसकी भूख तो उस को उभारती रहती है।
भजन संहिता 127:2
तुम जो सवेरे उठते और देर करके विश्राम करते और दु:ख भरी रोटी खाते हो, यह सब तुम्हारे लिये व्यर्थ ही है; क्योंकि वह अपने प्रियों को यों ही नींद दान करता है॥