दानिय्येल 10:16
तब मनुष्य के सन्तान के समान किसी ने मेरे ओंठ छुए, और मैं मुंह खोल कर बोलने लगा। और जो मेरे साम्हने खड़ा था, उस से मैं ने कहा, हे मेरे प्रभु, दर्शन की बातों के कारण मुझ को पीड़ा सी उठी, और मुझ में कुछ भी बल नहीं रहा।
And, behold, | וְהִנֵּ֗ה | wĕhinnē | veh-hee-NAY |
one like the similitude | כִּדְמוּת֙ | kidmût | keed-MOOT |
sons the of | בְּנֵ֣י | bĕnê | beh-NAY |
of men | אָדָ֔ם | ʾādām | ah-DAHM |
touched | נֹגֵ֖עַ | nōgēaʿ | noh-ɡAY-ah |
עַל | ʿal | al | |
my lips: | שְׂפָתָ֑י | śĕpātāy | seh-fa-TAI |
then I opened | וָאֶפְתַּח | wāʾeptaḥ | va-ef-TAHK |
mouth, my | פִּ֗י | pî | pee |
and spake, | וָאֲדַבְּרָה֙ | wāʾădabbĕrāh | va-uh-da-beh-RA |
and said | וָאֹֽמְרָה֙ | wāʾōmĕrāh | va-oh-meh-RA |
unto | אֶל | ʾel | el |
him that stood | הָעֹמֵ֣ד | hāʿōmēd | ha-oh-MADE |
before | לְנֶגְדִּ֔י | lĕnegdî | leh-neɡ-DEE |
lord, my O me, | אֲדֹנִ֗י | ʾădōnî | uh-doh-NEE |
by the vision | בַּמַּרְאָה֙ | bammarʾāh | ba-mahr-AH |
sorrows my | נֶהֶפְכ֤וּ | nehepkû | neh-hef-HOO |
are turned | צִירַי֙ | ṣîray | tsee-RA |
upon | עָלַ֔י | ʿālay | ah-LAI |
retained have I and me, | וְלֹ֥א | wĕlōʾ | veh-LOH |
no | עָצַ֖רְתִּי | ʿāṣartî | ah-TSAHR-tee |
strength. | כֹּֽחַ׃ | kōaḥ | KOH-ak |