Galatians 5:22
पर आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज,
Galatians 5:22 in Other Translations
King James Version (KJV)
But the fruit of the Spirit is love, joy, peace, longsuffering, gentleness, goodness, faith,
American Standard Version (ASV)
But the fruit of the Spirit is love, joy, peace, longsuffering, kindness, goodness, faithfulness,
Bible in Basic English (BBE)
But the fruit of the Spirit is love, joy, peace, a quiet mind, kind acts, well-doing, faith,
Darby English Bible (DBY)
But the fruit of the Spirit is love, joy, peace, long-suffering, kindness, goodness, fidelity,
World English Bible (WEB)
But the fruit of the Spirit is love, joy, peace, patience, kindness, goodness, faithfulness,
Young's Literal Translation (YLT)
And the fruit of the Spirit is: Love, joy, peace, long-suffering, kindness, goodness, faith,
| But | Ὁ | ho | oh |
| the | δὲ | de | thay |
| fruit | καρπὸς | karpos | kahr-POSE |
| of the | τοῦ | tou | too |
| Spirit | πνεύματός | pneumatos | PNAVE-ma-TOSE |
| is | ἐστιν | estin | ay-steen |
| love, | ἀγάπη | agapē | ah-GA-pay |
| joy, | χαρά | chara | ha-RA |
| peace, | εἰρήνη | eirēnē | ee-RAY-nay |
| longsuffering, | μακροθυμία | makrothymia | ma-kroh-thyoo-MEE-ah |
| gentleness, | χρηστότης | chrēstotēs | hray-STOH-tase |
| goodness, | ἀγαθωσύνη | agathōsynē | ah-ga-thoh-SYOO-nay |
| faith, | πίστις | pistis | PEE-stees |
Cross Reference
Colossians 3:12
इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।
1 Corinthians 13:4
प्रेम धीरजवन्त है, और कृपाल है; प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता, और फूलता नहीं।
John 15:5
मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते।
Ephesians 5:9
(क्योंकि ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई, और धामिर्कता, और सत्य है)।
John 15:2
जो डाली मुझ में है, और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है, और जो फलती है, उसे वह छांटता है ताकि और फले।
James 3:17
पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है।
Philippians 4:4
प्रभु में सदा आनन्दित रहो; मैं फिर कहता हूं, आनन्दित रहो।
Psalm 1:3
वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है॥
John 15:16
तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जाकर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे।
1 John 4:7
हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है; और परमेश्वर को जानता है।
1 Peter 1:22
सो जब कि तुम ने भाईचारे की निष्कपट प्रीति के निमित्त सत्य के मानने से अपने मनों को पवित्र किया है, तो तन मन लगा कर एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो।
Romans 12:9
प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई मे लगे रहो।
Luke 8:14
जो झाड़ियों में गिरा, सो वे हैं, जो सुनते हैं, पर होते होते चिन्ता और धन और जीवन के सुख विलास में फंस जाते हैं, और उन का फल नहीं पकता।
Psalm 92:14
वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे,
Romans 7:4
सो हे मेरे भाइयो, तुम भी मसीह की देह के द्वारा व्यवस्था के लिये मरे हुए बन गए, कि उस दूसरे के हो जाओ, जो मरे हुओं में से जी उठा: ताकि हम परमेश्वर के लिये फल लाएं।
Philippians 1:11
और उस धामिर्कता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिस से परमेश्वर की महिमा और स्तुति होती रहे॥
Galatians 5:13
हे भाइयों, तुम स्वतंत्र होने के लिये बुलाए गए हो परन्तु ऐसा न हो, कि यह स्वतंत्रता शारीरिक कामों के लिये अवसर बने, वरन प्रेम से एक दूसरे के दास बनो।
2 Peter 1:5
और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्न करके, अपने विश्वास पर सद्गुण, और सद्गुण पर समझ।
Matthew 12:33
यदि पेड़ को अच्छा कहो, तो उसके फल को भी अच्छा कहो; या पेड़ को निकम्मा कहो, तो उसके फल को भी निक्कमा कहो; क्योंकि पेड़ फल ही से पहचाना जाता है।
1 Corinthians 13:13
पर अब विश्वास, आशा, प्रेम थे तीनों स्थाई है, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है।
Galatians 5:16
पर मैं कहता हूं, आत्मा के अनुसार चलो, तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी न करोगे।
Ephesians 4:23
और अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनते जाओ।
Colossians 1:10
ताकि तुम्हारा चाल-चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और परमेश्वर की पहिचान में बढ़ते जाओ।
1 Peter 1:8
उस से तुम बिन देखे प्रेम रखते हो, और अब तो उस पर बिन देखे भी विश्वास करके ऐसे आनन्दित और मगन होते हो, जो वर्णन से बाहर और महिमा से भरा हुआ है।
Romans 5:1
सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।
1 Timothy 4:12
कोई तेरी जवानी को तुच्छ न समझने पाए; पर वचन, और चाल चलन, और प्रेम, और विश्वास, और पवित्रता में विश्वासियों के लिये आदर्श बन जा।
1 Thessalonians 5:10
वह हमारे लिये इस कारण मरा, कि हम चाहे जागते हों, चाहे सोते हों: सब मिलकर उसी के साथ जीएं।
1 Thessalonians 1:3
और अपने परमेश्वर और पिता के साम्हने तुम्हारे विश्वास के काम, और प्रेम का परिश्रम, और हमारे प्रभु यीशु मसीह में आशा की धीरता को लगातार स्मरण करते हैं।
Romans 15:14
हे मेरे भाइयो; मैं आप भी तुम्हारे विषय में निश्चय जानता हूं, कि तुम भी आप ही भलाई से भरे और ईश्वरीय ज्ञान से भरपूर हो और एक दूसरे को चिता सकते हो।
Romans 6:22
क्योंकि उन का अन्त तो मृत्यु है परन्तु अब पाप से स्वतंत्र होकर और परमेश्वर के दास बनकर तुम को फल मिला जिस से पवित्रता प्राप्त होती है, और उसका अन्त अनन्त जीवन है।
Matthew 7:16
उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोग क्या झाडिय़ों से अंगूर, वा ऊंटकटारों से अंजीर तोड़ते हैं?
Hosea 14:8
एप्रैम कहेगा, मूरतों से अब मेरा और क्या काम? मैं उसकी सुनकर उस पर दृष्टि बनाए रखूंगा। मैं हरे सनौवर सा हूं; मुझी से तू फल पाया करेगा॥
Romans 15:3
क्योंकि मसीह ने अपने आप को प्रसन्न नहीं किया, पर जैसा लिखा है, कि तेरे निन्दकों की निन्दा मुझ पर आ पड़ी।
Titus 2:2
अर्थात बूढ़े पुरूष, सचेत और गम्भीर और संयमी हों, और उन का विश्वास और प्रेम और धीरज पक्का हो।
1 Peter 5:12
मैं ने सिलवानुस के हाथ, जिस मैं विश्वासयोग्य भाई समझता हूं, संक्षेप में लिख कर तुम्हें समझाया है और यह गवाही दी है कि परमेश्वर का सच्चा अनुग्रह यही है, इसी में स्थिर रहो।
2 Thessalonians 3:2
और हम टेढ़े और दुष्ट मनुष्यों से बचे रहें क्योंकि हर एक में विश्वास नहीं॥
Luke 13:9
सो आगे को फले तो भला, नहीं तो उसे काट डालना।
1 Timothy 3:11
इसी प्रकार से स्त्रियों को भी गम्भीर होना चाहिए; दोष लगाने वाली न हों, पर सचेत और सब बातों में विश्वास योग्य हों।