Psalm 108:12 in Hindi

Hindi Hindi Bible Psalm Psalm 108 Psalm 108:12

Psalm 108:12
द्रोहियों के विरुद्ध हमारी सहायता कर, क्योंकि मनुष्य का किया हुआ छुटकारा व्यर्थ है!

Psalm 108:11Psalm 108Psalm 108:13

Psalm 108:12 in Other Translations

King James Version (KJV)
Give us help from trouble: for vain is the help of man.

American Standard Version (ASV)
Give us help against the adversary; For vain is the help of man.

Bible in Basic English (BBE)
Give us help in our trouble; for there is no help in man.

Darby English Bible (DBY)
Give us help from trouble; for vain is man's deliverance.

World English Bible (WEB)
Give us help against the enemy, For the help of man is vain.

Young's Literal Translation (YLT)
Give to us help from adversity, And vain is the salvation of man.

Give
הָֽבָהhābâHA-va
us
help
לָּ֣נוּlānûLA-noo
from
trouble:
עֶזְרָ֣תʿezrātez-RAHT
vain
for
מִצָּ֑רmiṣṣārmee-TSAHR
is
the
help
וְ֝שָׁ֗וְאwĕšāwĕʾVEH-SHA-veh
of
man.
תְּשׁוּעַ֥תtĕšûʿatteh-shoo-AT
אָדָֽם׃ʾādāmah-DAHM

Cross Reference

Psalm 20:1
संकट के दिन यहोवा तेरी सुन ले! याकूब के परमेश्वर का नाम तुझे ऊंचे स्थान पर नियुक्त करे!

Isaiah 2:22
सो तुम मनुष्य से परे रहो जिसकी श्वास उसके नथनों में है, क्योंकि उसका मूल्य है ही क्या?

Isaiah 30:3
इसलिये फिरौन का शरणस्थान तुम्हारी लज्जा का, और मिस्र की छाया में शरण लेना तुम्हारी निन्दा का कारण होगा।

Isaiah 31:3
मिस्री लोग ईश्वर नहीं, मनुष्य ही हैं; और उनके घोड़े आत्मा नहीं, मांस ही हैं। जब यहोवा हाथ बढ़ाएगा, तब सहायता करने वाले और सहायता चाहने वाले दोनों ठोकर खाकर गिरेंगे, और वे सब के सब एक संग नष्ट हो जाएंगे।

Jeremiah 17:5
यहोवा यों कहता है, श्रापित है वह पुरुष जो मनुष्य पर भरोसा रखता है, और उसका सहारा लेता है, जिसका मन यहोवा से भटक जाता है।

Lamentations 4:17
हमारी आंखें व्यर्थ ही सहायता की बाट जोहते जोहते रह गई हैं, हम लगातार एक ऐसी जाति की ओर ताकते रहे जो बचा नहीं सकी।

Job 9:13
ईश्वर अपना क्रोध ठंडा नहीं करता। अभिमानी के सहायकों को उसके पांव तले झुकना पड़ता है।

Job 16:2
ऐसी बहुत सी बातें मैं सुन चुका हूँ, तुम सब के सब निकम्मे शान्तिदाता हो। क्या व्यर्थ बातों का अन्त कभी होगा?

Psalm 146:3
तुम प्रधानों पर भरोसा न रखना, न किसी आदमी पर, क्योंकि उस में उद्धार करने की भी शक्ति नहीं।